रविवार, 21 नवंबर 2021

" आखिर कौन थी रानी कमलापति "

 


                    रानी कमलापति  





जैसा  की आप सभी जानते है की भोपाल में भारत के सबसे  हाईटेक  रेलवे स्टेशन का नाम , हबीबगंज रेलवे

 स्टेशन से  बदल कर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर  दिया गया है  I 


माना जा रहा है की ये रेलवे स्टेशन किसी भी इंटरनेशनल एअरपोर्ट को टक्कर  दे रहा है I 




ये  भोपाल वासियों के लिए बहुत ही ख़ुशी की बात है , लेकिन सवाल ये है की रानी कमलापति को कितने

 लोग जानते है I मेरे ख्याल से भोपाल के , मध्यप्रदेश और पुरे भारतवर्ष के बहुत की गिने - चुने लोग ही

 रानी जी को जानते है I 


       रानी कमलापति का इतिहास 


अचानक से स्टेशन का नाम बदल कर रानी कमलापति कर देने से पुरे भारत वर्ष में ये चर्चा का विषय बना

 हुआ है की आखिर रानी कमलापति कौन थी ?

तो आप लोगो को ये मै बता दू की जिस तरह रानी पदमावती ने अपने आप को दुश्मनो से बचाने के लिए

 जौहर  किया था I उसी तरह से रानी कमलापति ने भी अपने आप को दुश्मनो से बचाने के लिए नदी में

 अपने प्राण त्यागे थे I 





हुआ ये था की सोलहवी सदी में  भोपाल  पर हिन्दू , गौड़ राजा  निजामशाह  का शासन था I रानी 

 कमलापति , राजा निजामशाह की पत्नी थी I राजा  गिनौरगढ़  से  पुरे  राज्य का सञ्चालन  करते  थे I 




राजा का एक भतीजा था आलमशाह जो बाड़ी पर शासन करता था I शासन करते - करते आलमशाह के

 मन में लालच आ गया और वो पुरे गिनौरगढ़  को हडपने का बिचार बनाने लगा I 

एक दिन उसने राजा निजामशाह  को खाने पर बुलाया और राजा के खाने में जहर  मिला कर राजा को

 मार  दिया I


रानी को जब राजा के मारे जाने की खबर मिली तो वो अपने बड़े बेटे  नवलशाह  को बचाने के लिए उसे

 लेकर  गिनौरगढ़  से भोपाल  आ  गई I  रानी  कमलापति का महल  एक तलाब  के पास था I  

रानी  ,  राजा  की  हत्या  का बदला  लेना चाहती थी  , इसलिए अफगानिस्तान  से आये  हुए  मोहम्मद

 खान  के  साथ  सौदा  किया  , मोहम्मद खान एक लाख  रूपए के बदले रानी का काम  करने को राज़ी  हो

 गया  I 


मोहम्मद खान ने आलमशाह  को  मौत के घाट उतर दिया I लेकिन रानी  कमलापति  के पास  एक  लाख

 रूपए नहीं था  तो रानी ने मोहम्मद खान को  भोपाल का एक हिस्सा  दे दिया I 

लेकिन कुछ समय के बाद  मोहम्मद खान भी स्वार्थी और विश्वासघाती  हो गया  और पुरे भोपाल पर कब्ज़ा

 करने  की  प्लनिंग करने लगा I 

रानी  बहुत ही खुबसुरत थी , मोहम्मद  खान की नियत रानी के प्रति ख़राब हो चुकी थी I 

आखिरकार  रानी के  बेटे  नवलशाह  और मोहम्मद  खान के बिच  बहुत ही भयानक युद्ध हुआ I


पूरी  घटी  खून , और लाशो से लाल हो गई I  उस घाटी को आज भी लाल घाटी के नाम से जाना जाता है I

नवलशाह  इस युद्ध में  शहीद  हो गए I  रानी के सैनिको  ने रानी को युद्ध हारने का सन्देश  पहुचा दिया I


रानी  ने अपनी मान -मर्यादा  की रक्षा  के लिए  , तलाब  की नहर  का  रास्ता अपने  महल  की तरफ  ,

 सैनिको  से कह कर करवा दिया  और खुद महल के सबसे  निचे  वाले तल में  बैठ  गई I 

रानी का आदेश मिलते ही सैनिको ने  नहर का रास्ता  महल की तरफ मोड़ दिया I कुछ ही समय में पूरा

 पाँच मंजिला  महल पानी से डूब गया I 


तो इस तरह रानी कमलापति  ने अपनी मान -मर्यादा  की रक्षा  के लिए जल जौहर  कर लिया  था  I


आज भी रानी  कमलापति का महल  पांच मंजिले तक  पानी से डूबा हुआ है I 


भारत वर्ष Iबहुत ही धन्य है ,  जहा पर येसी  विरांगनाओ ने जन्म लिया I 

रानी  का  सतीत्व और साहस  अमर रहे I 


हबीबगंज  रेलवे स्टेशन  का नाम बदल  कर  रानी  कमलापति करना एक बहुत  ही   अच्छा  और सह्सीय

 कदम है I  

हमें  इसी तरह से अपने इतिहास को जीवित रहना होगा I 


आज रानी कमलापति , और न जाने कितने महलों का इतिहास  थिरे -थिरे  अँधेरे में डूब रहा है I  हमें


 इसी तरह के छोटे छोटे प्रयासों द्वारा अपने बीते हुए इतिहास को  जीवंत और प्रकाशित रखना होगा I






                 जय हिन्द                                                       जय भारत 


रविवार, 14 नवंबर 2021

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