आखिर क्या होता है खरमास
हिन्दू कथा के अनुसार एक बार सूर्य देव अपने 7 घोड़ो के रथ पर सवार होकर ब्रम्हांड की परिक्रमा
कर रहे थे I
इस दोरान उन्हें कही पर भी रुकने की इजाजत नहीं थी I यदि इस दोरान वो रुक जाते तो जनजीवन
भी ठहर जाता I परिकर्मा शुरू की गई I
लेकिन लगातार चलने के कारण घोड़े थक जाते ,और घोड़ो को प्यास लग जाती I
घोड़ो की दयनीय दशा देख कर सूर्य देव को चिंता होने लगी I वो घोड़ो को लेकर एक तालाब के
किनारे चले गए I
लेकिन उन्हें तभी आभास हुआ की अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जायेगा , क्योकि रथ रुकते ही सारा
जनजीवन भी ठहर जायेगा I
घोड़ो का सौभाग्य ही था की तलाब के किनारे दो " खर " मौजूद थे I खर यानि गधे I
भागवान सूर्य देव की नजर उन गधो पर पड़ी और वो अपने घोड़ो को वही तालाब के किनारे पानी पिने
और विश्राम करने के लिए छोड़ दिए I
और घोड़ो की जगह खर यानि गधो को अपने रथ से जोड़ दिए I
लेकिन गधो की चलने की गति बहुत ही धीमी थी , इस कारण रथ की भी गति धीमी हो गई I फिर
भी जैसे तैसे एक मास का चक्र पूरा हो गया I
उधर तब तक घोड़ो को काफी आराम मिल गया I इस तरह ये क्रम चलता रहता है I
खरमास का समय
- 14 दिसम्बर से लेकर 14 जनवरी तक
- हिन्दू धार्मिक मान्यताओ के अनुसार खरमास में शुभ कार्य नहीं किये जाते है I
- खरमास को अशुभ माना जाता है I
- जब सूर्य गोचरवश धनु और मीन में प्रवेश करते है तो इसे क्रमस धनु संक्रांति
व् मीन संक्रांति कहा जाता है I
- सूर्य किसी भी राशि में एक माह तक रहते है I सूर्य के धनु और मीन राशि में स्थित होने की
- मकर संक्राति 14 जनवरी 2022 पौष मास के शुक्ल पछ की द्वादशी तिथि के दिन खरमास
👉 मकर संक्राति का विशेष धार्मिक महत्व होता है I
इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे I
👉 सूर्य के मकर र्शी में प्रवेश करते ही मांगलिक और
शुभ कार्य प्रारम्भ हो जायेगे I
खरमास में किये जानेवाले उपाय
खरमास के महीने में पूजा पाठ धर्म - कर्म , मंत्र जाप , भगवत गीता , श्री राम कथा , पूजा कथा वाचन
विष्णु भगवान की पूजा शुभ माना गया है I
दान -पुण्य , जप और भगवान का ध्यान लगाने से कष्ट दूर होते है I
इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से कस्तो क निवारण होता है I
शिवजी के आलावा खरमास में भगवान विष्णु जी की पूजा भी फल दायक होती है I
खरमास के महीने सूर्य देव को जल का अर्घ्य दिया जाता है I
ब्राह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि से निर्वित होकर ताम्बे के लोटे में जल , रोटी या लाल चन्दन , शहद ,
लाल पुष्प पानी में डाल कर सूर्य देव को जल का अर्घ दिया जाना शुभ फल दायी होता है I
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